Future Projects
भावी योजनाएं :
कहते हैं कि जिस दिन कोई भी संस्था अपने कार्यों से संतुष्ट हो जाए तो समझना चाहिए कि इससे ग्राफ की रेखा नीचे की ओर जानी शुरू हो गई है। स्वामी राम ने भी कहा है, ‘आगे बढ़ते चलो। जिस दिन रुक जाओगे, उस दिन प्रकृति तुम्हें ठोकर मारेगी। वह चाहती है—चरैवेति . . . चरैवेति।’
इसीलिए मिशन सर्वप्रथम अपने पूर्व प्रकल्पों में आविष्कार करने का प्रयास कर रहा है, ताकि उन्हें और भी अधिक व्यवहारिक सुव्यवस्थित और सर्वोपयोगी बनाया जा सके। कुछ नए प्रकल्प इस प्रकार हैं।
- ऐसे बच्चों को आधुनिक तथा प्राचीन शिक्षा देते हुए ऋषिकुल परंपरा को पुनर्स्थापित करना, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
- स्वामी राम की साधना पद्धति को विद्यार्थियों तक पहुंचाना। इसके लिए शिक्षकों को प्रेरित तथा शिक्षित करना।
- इस दिशा में प्रयास करना कि राज्य और केन्द्र के स्तर पर विज्ञान पर आधारित अध्यात्मिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाए।
- भारतीय मनीषियों के चिंतन को बुद्धिजीवियों तक पहुंचाने के लिए सेमिनारों और वर्कशॉप का आयोजन करना।
- आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से स्वावलंबी बनाना।
- विशेषज्ञों द्वारा पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक खेती की जानकारी देते हुए किसानों को प्रेरित करना। इसका प्रशिक्षण ऐसे स्तर पर हो, ताकि कृषकों की आने वाली नई पीढ़ी मानसिक रूप से इसके लिए तैयार रहे।